आज दिलवालों की दिल्ली जल गई,हिंदू-मुस्लिम करने वालों की दाल गल गई,जिसे चुना था लोगों नेदेश का विकास करने के लिए,आज उस नेता के दिल को भी तसल्ली मिल गई।नेताओं के भड़काऊ भाषणों नेदिल्ली में आग सुलगाई,बिकाऊ पत्रकारों ने मेरे भारत के दिल में आग लगाई,एक विदेशी परिंदे के स्वागत मेंअपने ही लोगों की लाशें बिछाई।न हिंदू मरा, न मुसलमान की मौत हुई,नफरत कि इस लड़ाई में बस इंसानियत की जान गई।न नेता का घर जला, न अभिनेता की हवेली तोड़ी गई,नफरत की हवा में बसआम आदमी की दुकानें जलाई और लूटी गई।न मंदिर टूटा, न मस्जिद जलाई गई,बस इंसानियत का भरोसा तोड़ा गयाऔर विश्वास पर गोली चलाई गई।आज दिलवालों की दिल्ली जलाई गई,लगता है नाकामी छुपाने के लिए यह आग भड़काई गई,कोई पूछ ना ले विकास का पता,शायदइसीलिए तो दिलवालों की दिल्ली जलाई गई…इसीलिए तो दिलवालों की दिल्ली जलाई गई ।।©www.dynamicviews.co.in
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