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Sunday, June 16, 2019

वो पापा ही थे......

आज पहली बार पापा आप के लिए पेन चलाया है ,
बचपन से अब तक दिया प्यार मुझे याद आया है ,
वह आप ही थे जिसने हमें पैरों पर खड़ा होना सिखाया है l


हां मां ने हमें गोद में उठाया है,
पर पापा ने हमें पैरों पर चलना सिखाया है ,
जब डांटती थी बचपन में मां हमें ,
तो पापा ने ही हमें बचाया है l

पापा ही थे जिन्होंने हमें रोते-रोते हंसाया है ,
हमारी एक मुस्कान के लिए हाथी - घोड़ा बन कर दिखाया है ,
बचपन में हमारी हर जिद को पूरा करके दिखाया है ,
वो पापा ही हैं जिन्होंने हमें बिन मांगे सब कुछ दिलाया है l

हमारी हर शरारत पर मां के गुस्से से बचाया है ,
वो पापा ही हैं जिन्होंने हमें जमाने से लड़ना सिखाया है ,
सपने तो हमारे थे पर पूरा करने का जिम्मा पापा ने निभाया है ,
जब रास्ता कठिन था तो हमें पापा ने  कंधे पर उठाया है l

बाहर से सख्त और भीतर से नरम होते हैं पापा ,
हर मुश्किल में हमारे साथ खड़े रहते हैं पापा,
सख्त आवाज के पीछे अपना प्यार छुपाते हैं पापा,
हमारे सपनों के पीछे खुद के सपने दबाते हैं पापा l

वक्त बीता साल बीते हम बड़े हो गए,
बात बात पर अब हम कहने लगे पापा आप बूढ़े हो गए ,
पापा के किसी बात को दोबारा पूछ लेने पर हम चिढ़ने लग गए,
हमें पता ही नहीं चला कब पापा हमारे लिए पुराने जमाने के हो गए l

झुक गई कमर उनकी हमारे लिए खुशियों  की दीवार बनाते बनाते ,
बूढ़ी हो गई आंखें उनकी हमारे लिए सपने सजाते सजाते ,
अब वक्त आ गया है उनकी उम्मीदों को हम अनाथ ना करें,
अब हमारी बारी है उनके हर सपने को हम पूरा करें I
क्योंकि
बचपन में हमारी हर जिद को पूरा करके दिखाया है ,
वो पापा ही थे जिन्होंने हमें अपने पैरों पर खड़ा होना सिखाया है….
वो पापा ही थे जिन्होंने हमें अपने पैरों पर खड़ा होना सिखाया है II

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