ये किताबें कुछ कहती है ,
ये किताबें कुछ कहती है,
मेज पर आधी खुली आधी बंद ,
मेरी जिंदगी से जुड़े किसी रिश्ते की तरह,
नाता है दिल से इनका मेरी सांसो की तरह,
निभाती है साथ मेरा अपनों की तरह,
सिखाती है जीना मुझे बेफिकरों की तरह ,
करती है दूर मेरे अकेलेपन को दोस्तों की तरह
दिखाती है रास्ता मुझे मेरे अपनों की तरह।।
कौन देता है साथ इस तरह मतलबी सी इस दुनिया में ,
कौन बांधता है उम्मीदों की डोर फरेबी सी इस दुनिया में ,
कौन देता है साथ किसी के अकेलेपन में ,
कौन दिखाता है राह किसी के अंधेरे जीवन में….
बेशक..
ये किताबें ही है जो देती है साथ अकेलेपन मे,
दिखाती है राह अंधेरे जीवन …….
ये किताबें ही है जो देती है साथ अकेलेपन मे,
दिखाती है रहा अंधेरे जीवन …….
...
इसी लिए,
...
जब भी बैठ जाता हूं थक हार के ,
ये किताबें कुछ कहती है प्यार से,
जब भी बैठ जाता हूं थक हार के,
ये किताबें कुछ कहती है प्यार से ।।
Ye kitabe bahut kuch kehti Hain 🌸🌸
ReplyDeleteye kitabe kuch kehti hai..
DeleteVery good keep it up...
ReplyDeleteThanks....
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